परहित सरिस धरम नहिं भाई ।
पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।।
भारतीय जन सेवा संगठन (बीजेएस) के संगठन और उद्देश्य !
राम चरित मानस की यह चौपाई हमारे सनातन भारत के जन मानस के आचार, विचार और व्यवहार को परिलक्षित करती है। बीजेएस के संस्थापक और प्रदेश संयोजक श्री मोहन सिंह राठौड़ जी ने इस चौपाई को अपने जीवन ध्येय के रूप में स्वीकार किया है। भारतीय जन सेवा संगठन का गठन समाज के अंतिम पायदान पर खड़े हर व्यक्ति की सेवा का संगठन लेकर, भारत देश के हर वंचित किसान, मजदूर, आदिवासी, महिला और दलित के उत्थान के लिये, शासन की योजनाओं का लाभ उन तक पहुंचाने, अंतोदय एवं एकात्म मानववाद के सिद्धांतों को आम आदमी के जीवन में उतारने के उद्देश्य से किया है। भ्रष्टाचार और लाल फीताशाही के चलते शासन की जन हितैषी योजनाएं समाज के शोषित, पीड़ित, उपेक्षित , पिछड़े और निम्न वर्ग के लिए बनाई जाती हैं किन्तु न तो धरातल पर पूरी तरह से फलीभूत हो पाती हैं, न ही उनका लाभ वास्तविक लाभार्थी तक पूर्णतः पहुँच पाता है। इसलिये आम जन की समस्याओं , जरूरतों , सरकार की योजनाओं की कमियों और दोषों को उचित स्तर पर उठाने, शासन, प्रशासन एवं आमजन के बीच सेतु का काम करते हुऐ गाँव, शहर , कस्बे के सर्वहारा वर्ग को लाभान्वित करने का कार्य बीजेएस जन सेवको के माध्यम से सुनिश्चित करना होगा। संगठन सकारात्मक दृष्टिकोण से शासन तन्त्र में व्याप्त समस्याओं के समाधान का प्रयास करता है, और आवश्यकतानुसार जन जागरण,सत्याग्रह और आंदोलन से समाज को इन चुनौतियों का सामना करने का संबल और दिशा प्रदान करेगा। समाज में सभी स्वस्थ, शिक्षित, सुसंस्कृत एवं संस्कारवान हों, समाज के हर वर्ग का सर्वांगीण विकास हो, यही संगठन का उद्देश्य और लक्ष्य है।