परहित सरिस धरम नहिं भाई ।पर पीड़ा सम नहिं अधमाई ।।
राजपथ से लोकपथ तक के मार्ग की अथक पथिक कैलाशवासी राजमाता विजयाराजे सिंधिया की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि अर्पित की।